रही त ठा क पादी ,
नै त पदतो जाई
और परईतो जाई!
सावन जन्मल गिद्दर
भादव आईएल बाढ़
गिद्दर कहलक
बाप रो अहेन बाढ़े ने देखलू !
खीर खेलउ पुरी खेलउ
खुददी ले जी लागले या !
हेहेरा रे हेहेरा केना दिन जाऐछो
लात जूता खाएछि भने दिन जैया
to be continued...........................
Monday, November 17, 2008
मैथिलि फकरा
किछ मैथिलि फकरा
- अपन बियाह भेल त जय कमला !
- आलसी खसल इनार में ,कहलक हम इतहि ठीक छी
- उपर स ठीकठाक नीचा से मोकामा घाट
- एके माघे जाअर नै जाई छाई
- खा के पसरी आ मारके ससरी
- घर भुजी भांग नै बीवी पादे चुरा
- खस्सी के जान जाई खेबाई के सवादे ने
- सब घर छोड के गोसाई घर हगना
- भेटे मिया मार ने खोजे मिया तारी
- जे रोगी के भाबे से बेदा !
Monday, November 10, 2008
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