Monday, November 17, 2008

मैथिलि फकरा

रही त ठा क पादी ,
नै त पदतो जाई
और परईतो जाई!
सावन जन्मल गिद्दर
भादव आईएल बाढ़
गिद्दर कहलक
बाप रो अहेन बाढ़े ने देखलू !
खीर खेलउ पुरी खेलउ
खुददी ले जी लागले या !
हेहेरा रे हेहेरा केना दिन जाऐछो
लात जूता खाएछि भने दिन जैया
to be continued...........................

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